Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 32
________________ (३१) गरे छे. जेम चंद्रमा नानो मोटो थाय छे तेम प्राणीओनी स्थिती पण चढती पडती थयां करे छे. जेम चंद्रमा मेला अंतःकरणनो छतां एक राशीथी बीजी राशीए जाय छे, तेम पाणी पण एक शरीर मूकीने बीजुं शरीर धारण करे छे. माटे एवा संसारमा हर्ष ते शो ? अने शोक ते शो ? हरखने शोक कई पण नहीं. तडिदिव चलमेतत्पुत्र दारादि सर्व किमिति तदभिघाते खिद्यते बुद्धिमद्भिः ॥ स्थितिजनन विनाशं नोष्णते वा नलस्य व्यभिचरति कदाचित् सर्वभावेषु नूनं ॥ २६ ॥ भावार्थ:- हे भव्यजीवों, आ स्त्री पुत्रादिक बधां वीजळीना चमकार जेवां क्षणभंगुर छे, एम जाणीने तेमनुं मृत्यु थवाथी समजु माणसे खेद शामाटे करवो जोईए ? दुनियामां जेटला पदार्थ छ द्रव्यमां छे ते बधाने उपजवु, नाश थनुं अने स्थीर रहे साथेज छे. जेम अभिनी साथे उष्णता होयने होय प्रियजनमृति शोकः सेव्यमानोतिमात्रं जनयति तदसातं कर्म यच्चाशतोपि ॥

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