Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 36
________________ अन्ये वा किमुभूपतिप्रभृतयः संत्यत्रलोकत्रये, यैः सर्वैरपि देहिनः स्वसमये कर्मोदितं वार्यते॥३॥ भावार्थ:-आ लोकमां जीवने कर्मना उदय प्रमाणे आवेलं मरण रोकवाने कोई देव अथवा देवता समर्थ छे ? कोई वैद्य (Doctor) अथवा औषध, मंत्र, मणी, कई करी शके 'छे? कोई मित्र राजा गंध इत्यादिनो कंई ईलाज चाली शके तेम छे ? आर्युदा पूर्ण थये कोइनो ईलाज नथी. गीर्वाणा अणिमादि सुस्थमनसः शक्ताः कि मत्रोच्यते ध्वस्तास्तेषि परंपरेण सपरस्तेभ्यः कियानाक्षसः॥ रामाख्येन च मानुषेण निहितः प्रोल्लंध्य सोप्यंबुधिं रामोप्यंतकगोचरः समभवत्कोऽन्यो बलीयान् . विधेः ॥३३॥ ....- भावार्थ:-आ छोकमां अणिमदि ऋद्धीना धारक देवता जे छ तेमनुं बळ सहथी मोटुं कहेवाय छे. तोपण ते देवता ओनो एक रावण सरखा राक्षसे नाश कर्यो. देवताओने पीडा करनारो एवो मोटो रावण तेने पण एक रामचंद्र स

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