Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi
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वंशना मुकुटालंकार राम लक्ष्मण जेवा वीरपुरुषने पण काळने आधीन थर्बु पड्युं. तो पछी मनुष्ये मोहमय बनी, मायामय बनी, प्रश्चाताप या विलाप करवो ए केवळ अज्ञान छे. ज्ञानी.. लोकना आ तत्वज्ञानना अमीझरणाने अमो अभिवंदन आपीर छीए, अने ए बात तो सत्यज छे के नाना, मोटा, गरीब, तवंगर, राय, रंक, ए सघळाने ए ज्ञान उपकारक छे-बादशाह सिकन्दरनी पासे धन्वन्तरी जेवो लुकमान वैद्य (Doctor) अने असंख्य घोडा, हाथी, ऊंट, गाडी, रथ, वगेरे ऐश्वर्य हतुं. छतां मरती वखते तेणे पोताना बे हाथ खुल्ला मूकवा अने सघळी राज्यसमृद्धि तेनी पछवाडे स्वारीमा चढाववाने कयुं हतुं. ते एवा हेतुथी के आ अप्रतिम समृद्धि छतां ते सघलं मूकी मारे काळने आधिन थq पडयुं छे. पहोळा हाथ मूकवानो सबब ए हतो के आ बधो वैभव छोडी खाली हाथे जाऊं छु. अर्थात् काळने गरीब किंवा बादशाह समान छे ने सघळाने तेने शरण थर्बु पडे छे. . चीना लोकमां कहेवत छे के-आ मनुष्य जींदगी खरेखर, कंटाळा भरेली छे, जेना रस्तानी बेउ बाजु लोभ, मोह, मद, मत्सर, आदि शत्रुओ संताई रहेला छे. ते गाफेल मुसाफरने कायर करे छे. परमात्मा तेनी दाद लेई एक भोमियो मोकले

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