Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ (२०) कुलेषुतद्वत् पुरुषाः किमत्र हर्षेण शोकेन च सन्मतीनां ॥८॥ भावार्थ:- जेवी रीते वृक्ष पान, फूल, फल, आवे छे अने तेनो खरवानो वखत आव्यो एटले नीचे खरी पडे छे; तेवी रीते एक कुळमां मनुष्य जन्म ले छे अने मरवानो वखत आवे मरी जाय छे, माटे समजु माणसे तेथी हर्ष ते शुं ! ने शोक पण शुं करवो ! कईज नहीं. दुर्लघ्याभ्द वितव्यता व्यतिकरान्नष्टे प्रिये मानुषे : यच्छोकः क्रियते तदत्र तमसि प्रारभ्यते नर्तनं ॥ - सर्व नश्वरमेववस्तु भुवने मत्वामहत्याधिया निर्धूता खिल दुःख संततिरहो धर्मः सदासेव्यतां ॥ ९ ॥ भावार्थ:- आ संसारमां टाळी नहीं शकाय एचा भावि atta बनवायी आपणुं ईट (Dear) माणस मरण पामवाथी जे शोक करीये छीये ते अंधारामां नृत्य करवा जेधुं छे. माटे हे बन्धुओ ! आ संसारमां सर्व वस्तुओ नाशवंत (momentary) - छे एम समजीने विवेकी माणसे सदा धर्मनुं सेवन करवुं नोइ . कारण धर्मयी संपूर्ण दुःख मट जाय छे,

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78