Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 28
________________ भव छोडीने बीजो भव हमेश लीधा करे छे. माटे सुज्ञ माणस आ जीवतर बधुं क्षणभंगुर छे एम समजीने कोई वहालुं जन्म पाम्युं तो ते हर्ष करतो नथी तेम कोई वहालुं सगुं मरण पाम्युं तो तेनो शोक पण करतो नथी. भ्राम्यत् कालमनंत मत्रजनने प्राप्नोति जीवोन वा मानुष्यं यदि दुष्कुले तदघतः प्राप्तं पुनर्नश्यति ॥ सज्जातावथ तत्र याति विलयं गर्भपि जन्मन्यपि द्राग् बाल्येपि ततोपि नो वृषइति प्राप्ते प्र - यत्नो वरः ॥२०॥ भावार्थ:-आ संसारमा आ जीवने अनंत काळ सुधी ममता भमता मनुष्य जन्म मळवाज कठण, कदापि ते मळ्यो पण जो नीचा कुळमां जन्म थाय तो ते जन्म त्यां पापकर्मथी नकामो जाय. जो सारा कुळमां कोई वरनत थाय तो केटलीवखत गर्भमांज मरी जाय छे अने केटलीक वखत जन्म थया केडे बाळ अवस्थामां मरी जाय छे. वास्ते धर्मसेवन करवानां साधनो मळ्यां होय तो धर्म साधन करवामां बनतो उद्यम शामाटे न करवो जोईए ? .

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