Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 24
________________ ( २३ ) तयो मृते सति निजपि शुचंकरोति पूत्कृत्य रोदति वने विजने स मूढः ॥ १३ ॥ भावार्थ:- जे माणस जन्म पाम्यो छे ते मरणनो बखत आवे मरवानो छेज एमां भूल नथी. तेने रक्षण करवा आ त्रैलोक्यमा कोईपण समर्थ नथी. माटे जे कोई माणस पोतार्नु कोई मरी जाथी शोक करतो बेसे छे तेनो शोक जेम मूर्ख माणसे वगडामां, ज्यां कोईपण सांभळनार नथी त्यां मोटा पोकार करीने रोवा जेबुं छे. इष्ट क्षयो यदिह ते यदनिष्टयोगः पापेन तद्भवति जीव पुराकृतेन ॥ शोकं करोषि किमु तस्यकुरु प्रणाश पापस्य तौ न भवतः पुरतोपि येन ॥ १४ ॥ भावार्थ:- अरे जीव, आ संसारमां जे अणगमतुं आवी मळे छे, अने भावतुं नीकळी जाय छे ते बधुं पूर्वे करेला पापने लीधे थाय छे. माटे तुं शोक शुं करे छे ? ते पापनो क्षय करवा मांड ! कारण पापनो क्षय थशे एटले पछी अणममतुं

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