Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 25
________________ (२४) आवी पडवु ने भावतुं नीकळी जq ए बने थवानां आगळं मटी जशे. नष्टे वस्तुनि शोभनोपे हि तदा शोकः समारभ्यते तल्लाभोथ यशोथ सौख्यमथवाधर्मोथवास्यादि यद्ये कोपि न जायते कथमपि स्फारैःप्रयत्नैरपि प्रायस्तत्र सुधीर्मुधा भवतिकःशोकोग्ररक्षोवशः।१५ भावार्थ:-आपणी घणी गमती वस्तु जती रहे त्यारे शोक करीये छीये, पण ते शोक करवाथी ते वस्तु पाछी मले तेम होय, अथवा ते शोक करवाथी कई जश मळतो होय अथवा कोई धर्म थतो होय, अथवा कंई सुख थतुं होय, तो ते करवो ठीकज छे. पण आ चारमाथी एक पण शोक करवाथी यतुं नथी तो पछी कोण समजु माणस शोक करतो वेसशे? कोईज नहीं. एकद्रुमे निशि वसंति यथा शकुंताः प्रातःप्रयांति सहसा सकलासु दिक्षु ॥ स्थित्वा कुलेबत तथान्यकुलानि मृत्वा लोकाः अयंति विदुषा खलु शोच्यतेकः॥१६॥

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