Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 20
________________ कोई ईष्ट पुरुष मरण पामे छे अने तेना माटे आ संसारमांजे अतिशय शोक करवामां आवे छे ते केवल भ्रमिष्ट माणसे चेष्टा करवा जेवं छे, कारण के तेवो शोक करवाथी कई पण सिद्ध थतुं नथी, पण उलटुं तेथी-धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, वगेरे ते मूर्ख माणस खोई बेसे छे. एटलंज थाय छे." उदेति पाताय रविर्यथा तथा शरीर मेतन्ननु सर्व देहिनां ॥ स्वकाल मासाद्यनिजेहि संस्थिते करोतिकः शोकमतः प्रबुद्धधीः ॥७॥ भावार्थ:-जेम सूर्य जे छे ते अस्त थवाने माटेज उदय पामे छे, तेमज संपूर्ण प्राणी मात्रनुं शरीर जे छे ते नाश थपाना माटेज उत्पन्न थाय छे माटे पोतानो आयुदो पूर्ण थवाथी जे कोई माणस तेमज आपणां सगांवहालां भाईबंध मत्यु पामे छे तेना माटे कोई डाह्यो माणस शोक करशे ! को- . ईषण नहीं. भवंति वृक्षेषु पतंति नूनं पत्राणि पुष्पानि फलानियबत् ॥

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