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(१३) छे.जेने आपणे मोत कहीए छीए. माटे मरण थाय छे ते स्व. कर्मानुसार दुनियानी मुसाफरी पूरी थवाथीज थाय छे.
एक ग्रीक फीलोसॉफर (विद्वान ) नुं कहे, छे के
मरण एटले मात्र लोकान्तरमां जन्म लेवो. खरेखर मरण तो कहेवायज नहीं, केमके आं पापी दुनियामांथी जे खरो भाग्यशाळी होय तेज जलदीथी पोताना अद्रष्टनां फळ आटोपी परलोकने प्राप्त करे छे.
तेमज एक अंग्रेज विद्वाननुं कहेवु छे केThe Paths of Glory Lead But To The Grave ( Grey.)
एटले मनुष्ये अव्यक्त आदि अने अंतनो विचार मूकी दईने कुदरतना नियमने मान आपी कर्तव्य कर्या जवू, एज राजानुं राजापणुं ने प्रजानुं प्रजापणुं छे. तथास्तु. ___ नोट-आवा नानकडा पुस्तकने माटे प्रस्तावना के उपोद्घात वधू लखवा बेसीये तो "माथु नानुं ने पाघडी मोटी थवा जेवू थाय" आ पुस्तकर्नु कदज प्रस्तावना रुपे छे. एम कहीए तो चाली शकशे. तोपण ग्राहकोनी उपरा उपरी मागजीने लीधे आ पुस्तकनुं मुद्रणकार्य घणुं त्वराथी चलावकुं प..