Book Title: Anitya Panchashat
Author(s): Padmanandi Acharya
Publisher: Motilal Trikamdas Malvi

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Page 10
________________ (९) बळी केटलाक मूढमति माणसो पोतानुं कोई सगुवहालुं मनुष्य जे स्वकर्मे मृत्यु पामे छ तेनो मोटो शोक आदरीने वेसे छे. ते उपर कडुं छे के- "मरनारने शामाटे रुओ छो रोनार छ क्या रहेवाना" एटले पोतेज एक दिवस खेंचाइ जसे तेनों बिचार लेशमात्र पण करता नथी. एकतो बियसज्जनना मरगर्नु दुःख ने बळी तेना आत्माने रडी रडी नकामो दुर्गतीमा नांखयो आते केवो न्याय ? एक तो "माळापरथी पडवु ने तेने लाकडीनो मार" ए कहेवतने अनुसरीने वर्तन थाय छे. लोको बधी बाबतमां शास्त्रने आडे आवे छे त्यारे आ बावतमा शास्त्र सामु पण जोता नथी, हिन्दु, मुसलमान, ख्रिस्ति, पारसी, वगेरे कोईपण शास्त्रमा कोईपण ठेकाणे रडवा कूटवानुं कहेलुं नथीज एम निःसंदेह छे. भगवद्गीतामा कलु छ के-- वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानिदेही ॥१॥ भावार्थ:-जेम पुरुष जुना वस्त्रोनो त्याग करी नवीन ब

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