Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 14
________________ उस दौड़ते हुए पथ पर । किन्तु जाती है पकड़ी वहीं, सहसा, किसीसे एकदम, दृष्टा के पास, उस दौड़ते हुए पथ पर, खड़ा जो सजग प्रहरी बन कर-वह है विवेक : चिर सजग प्रहरी इस पथ का । यह पथ - जो दौड़ा जाता है दूर तक, सुदूर तक ! अनंत को अनुगूंज

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