Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 43
________________ निश्शेष प्रदान का कर्म ही केवल प्रल पल जहाँ पर पलता है, 'सहयोग', सहजीवन, प्रेम चिरंतन अजस्र जहाँ पर चलता है - वही तो सच्चा जीवन है, सहजीवन है, लेकिन, क्या यह भी कोई जीवन है....? बेचैन न कहीं है मुझको चैन, यूंही बीतत है दिन रैन खोजते रहते सदा ये नैनः . - 'इन में कौन अपने, कौन गैन'? अनंत को अनुगूंज

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