Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 41
________________ क्या यह भी कोई जीवन है, सहजीवन है ? क्या यह भी कोई जीवन है, सहजीवन है, जिसे 'बोझ' बना मन ढ़ोता है ? अस्खल, निश्छल, कलकल जल का क्या, पलपल बहता यह सोता है ? क्या यह भी .... ३७ या तो फिर फिर के लगता रहता एक, अहंकार का गोता है ? - जिस को नहीं घुलना आता है, उठ उठकर जो रोता है ? चलता पलपल जो 'माँग' लिए, एक सुख सुविधा का न्योता है, दम्भ, दर्प का योग बना यह, सौदा और समझौता है ? क्या यह भी ..... - कौन यहां पर अपने भीतर. कालुष - कल्मष धोता है ? आशा, अपेक्षा, सुरक्षा छोड़ कौन, निरपेक्ष तार पिरोता है ? ? अनंत की अनुगूंज

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