Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 40
________________ अनुत्तरित अनुज कर शोर उठा है कोई, मेरे भीतर-भवन में, झकझोर रहा है कोई, मेरे शयन - स्वपन में, और पूछता है हरदम, प्राणों के हर कवन में: मैं कौन ... ? मैं कौन ....? मैं कौन ....? ग्रंथों के बीच पड़ा था, संलीन बन पठन में, रट रट के भर रहा था, क्या-क्या स्मरण-रमण में, पर चौंक उठा अचानक, बिज ज्यों गिरे गगन में, और जल उठा था दामन, मर खुदी को कफन में, झकझोर रहा था कोई, मेरे शयन स्वपन में, और पूछता था हरदम, प्राणों के हर कवन में: मैं कौन .... ? मैं कौन ....? मैं कौन ...? अनंत को अनुगूंज

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