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जहाँ हर आदमी पसीना बहाता है, जहाँ हर आदमी नेकी की खाता है, जहाँ हर आदमी अन्यायों से जूझता है, जहाँ हर एक प्रेम और प्रसन्नता से जीता है, . जहाँ साकार प्रेम ही गीता है .... 1 और गांधी की हस्ती; उन दीन-दुःखियों की आहों में है, उन शहीद-विधवाओं की कराहों में है, मार्टिन ल्यूथर, विनोबा की सी आत्माओं में है, निखिल विश्व के कण-कण, . जल-थल राहों चौराहों में है ! कहां मारने जाइएगा उसे ?
जो क्षमता रखती है - भारत की उस झूठी आत्मा को, उसकी भ्रमणा को, भस्मसात् कर देने की ! और इसलिए -
मर्मत की अनुगूंज