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जो चाहती है भरमार विदेश - सी बर्थकंट्रोल और भोगों की, जो देती है दुहाई उठ उठकर हिंदुपन के कौमी - रोगों की, जो रगड़ती है प्रदेशों को जड़ता में, भाषा - प्रान्तों के चोगों की, जो उगलती है क्षण क्षण पर, विद्वषवाणी आक्रांतोंकी, जो कुचलती है पद पद पर आत्मा को देहातों की ... !!! भारत की ऐसी एक बनावटी आत्मा, झूठी आत्मा, भ्रमित आत्मा, तथाकथित आत्मा - - कि जिसका गांधी हत्यारा था, बेशक हत्यारा था, उसने, उसी आत्माने, एक दिन .... एक दिन प्रतिशोध की आग लिए गांधी की हत्या की ! फिर उसके अरमानों की हत्या की !! फिर उसकी अहिंसा की भी हत्या की !!! त ने अनुगूंज