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शायद अभी जी नहीं भरा गांधी की उस हत्या से, शायद अभी अधूरी है वह हत्या !
और यदि ऐसा हो तो अब भी मारो उसे, गांधी शताब्दी का यह मौका बड़ा ही अच्छा है, देखना, कहीं हाथ से निकल न जाय ! इसलिए ठीक से मारो उसे, जड़ से काट मिटाओ उसे, उस पर अभियोग अनजान लगा लगाकर, उसे समाधि से राजघाट की उठा उठाकर, एक बार नहीं, अनेक बार बारबार मारो
और गहरा उसे दफनाओइतना गहरा - औरंगज बी-ख्वाहिशों को साथ लिएकि बाहर न निकल पायें कमी आवाज़ उस की, भूले से भी न दीख पायें कमी परछाई उस की ! क्यों किवह हत्यारा था,
अनंतः को अनुगूंज