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गांधी हत्यारा था, हाँ, गांधी हत्यारा था उस भारत का, स्वतंत्र भारत की उस तथाकथित आत्मा का- वह आत्मा वह, कि जो रक्त-प्यासी है दीन-दरिद्रों की,
और उस रक्त को मदिरा के जामों में भरभर कर, जो पीती है, झूमती है क्लबों में धुनों पर जाझों की ! जो पलती है पूंजी पर अमरिकी बाजों की !!. कमी पाक, कभी रूस और कभी चीन के मुखिया माओ की, जो पनपती है छाया लेकर स्मगलर, टेक्सचोर शाहों की, जो चलती है आँख उधार लेकर मास महर्षि मात्रो की,
जो फूलती है फुहारों पर, फ्रॉइड के सेक्स बहावों की,
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अनंती मग