Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 50
________________ बिन मांगे मोती मिले अब न मांगूँगा कभी भी - मांगने से कुछ न मिलता, 'गर मिले तो मूल्य गिरता, मांस भला किस की सधी हैं, अल्प ही मांगे तभी भी ! ठीक कहा है कभी किसी ने, कमनसीब याचक के सीने, मांग क्यों उससे न लेता, जो न ठुकराता कभी भी ! अब न ...... अनंत की अनुगूंज अब न बिन इकरार न मांगता मन, बिन इतबार न मानता तन, फिर भी वह इन्कार करे तो, लौट, भले रोके सभी भी ! कहा कबीर ने, आनन्दघन ने, मांगन, मरन, समान सभी, पैठ भीतर घट सागर में, बिन मांगे माती मिले अभी भी ! अब न अब न .... 0000 .... ३.६

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