Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 23
________________ मौन गगन यह मौन गगन मेरा जीवन, ___ यह मौन भवन मेरा जीवन, इस में उमड़ते बादल मन के, रंग-बिरंगे नित्य नूतन .... I . - यह मौन गगन .. १ उठती लहरें ये सागर से, भीतर के भी आगर से. छू छू कर ये कण कण को, बरसा देती हैं अभिनव घन .... । यह मौन गगन .... २ '(तू) कौन? कौन?' के घोष उठे यह, (पर) मौन मौन सब बन गए रह, कोने कोने को भर भर के, छोड़ गए नीरव गूंजन ......... यह मौन गगन .... ३ अनंत को अनुगूंज

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