Book Title: Anantki Anugunj
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 25
________________ महल नहीं अब मिट्टी बनने, अपने दिल से चाह रहा है, उस प्यासे के बिखरे आँसू, जा कर रहा मैं पोंछता हूँ .... ! ख्वाहिशों के खण्डहरों में .... २ नामो-निशाँ नहीं खुदी का अब, जलकर खुद जो खाक हुई है, जलने से ही रूह उसी की, वाकई में जो 'पाक' हुई है, मातम-सी उस खामोशी से, बोल खुशी के खोजता हूं, खाक खुदी की खोज खोज के, खुद खुदा को खोजता हूँ ....! ख्वाहिशों के खण्डहरों में ... ३ अनंत की अनुगूंज

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