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मैं चल रहा हूं
मैं चल रहा हूं -
सब जगह, सब समय . मेरे अहम्' को साथ लिये. चेतना मूच्छित किये,
बुझा के होश के दिये ! अब छूटना है इस क्रम को, अब टूटना है इस भ्रम को. अब जुटना है यहीं श्रम को, और मुड़ना है यहीं पथ को,
सजग, चिर अमूच्छित बन . ! और तब रहेगी चेतना, 'मैं ना रहूँ, बस इतना कहुं : 'मै चल रहा हूं!'