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कौन ? गा रहे हैं पंछी - उनमें भर रहा है स्वर कौन ? झूम रहे हैं पत्त - उनमें भर रहा गति कौन ? घूम रहे हैं बादल - उनमें संचार कर रहा कौन ? गूंज रहे वन - प्रान्तर - उनमें गूंज भर रहा है कौन ?
छिपा अज्ञात इस ज्ञात जग के पीछे है कौन ? छिपा निःस्वर इन वि-स्वरों के पीछे कौन ? ठहरा अरूप इन रूप - विरूपों के भीतर कौन ? छाया अदृष्ट इन दृष्ट - दृष्यों के पीछे कौन ? समाया असीम इन सीमाओं के भीतर कौन?
एक तत्त्व ही शायद, छिपा सभी के पीछे, लहरा रहा चैतन्य एक ही सब के नीचे !
अनंत को अनुगूंज