Book Title: Ahimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04 Author(s): Kamtaprasad Jain Publisher: Jain Mission Aliganj View full book textPage 8
________________ * अहिंसा-वाणी * है। उसके इस प्रथम समारोह तथा अहिंसा सांस्कृतिक सम्मेलन की सफलता चाहते हैं।" श्रीमन्त सेठ परसादीलाल जी पाटणी, महमन्त्री, श्री अ० भा० दि० जैन महासभा, दिल्ली "......श्री वीरप्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि यह अधिवेशन सानन्द सम्पन्न हो तथा जैन धर्म का विश्व में प्रचार करने में पूर्ण सफल हो।" श्रीमन्त सेठ श्रेयांश प्रसाद जी, बम्बई जैन मिशन का श्राज जितना महत्व है उतना कही नहीं हुा । युद्ध समाप्त हो गया है परन्तु विश्व आज भी युद्ध, की सामग्री और साधन शान्ति के नाम पर जुटा रहा है। यह कितना बड़ा उपहास है जैन धर्म ही आज विश्व को शान्ति-पथ पर ला सकता है, यह उसके उचित्त प्रचार व अनुयायियों पर निर्भर है।......शुभ भावनाएँ।" श्री उग्रसेन जी जैन, मन्त्री अ० भा० दि० जैन परिषद् परीक्षा बोर्ड, दिल्ली "निमन्त्रण पत्र मिला । धन्यवाद ।......शुभकामनाएँ भेजता हूँ।" श्री इन्द्रलाल जी जैन, शास्त्री, विद्यालंकार, प्रधान सम्पादक 'सन्मार्ग' जयपुर "अधिवेशन की सर्वविधि सफलता चाहता हूँ। आपके इन शुभ भावों से प्रेरित सत्कार्यों से मेरी पूर्ण हार्दिक सहानुभूति है। सेठ श्री हुकुमचन्द्र जी पाटनी, इन्दौर ..."मैं श्राप के इस कार्य-क्रम की सफलता चाहता हुआ कामना करता हूँ कि इस प्रचार के आयोजन द्वारा सर्व साधारण में जैन धर्म के प्रति रुचि पैदा हो तथा जैन धर्म देश-विदेशों में उत्तरोत्तर प्रगति करे। मैं इस शुभ कार्य में तन-मन से सहयोग देने के लिए तैयार हूँ।" सेठ श्री गुलाचन्द्र जी टोंग्या, इन्दौर "...मेरी हार्दिक भावना है कि श्राप लोगों को सफलता प्राप्त हो और अखिल विश्व में भगवान महावीर की अहिंसामय वाणी का प्रसार हो।" . श्री सुल्तान सिंह जी जैन, बी० ए०, एल० टी०, वैश्य कालिज, शामली ___ "मेरी यही हार्दिक कामना है कि अधिवेशन प्रत्येक दृष्टिकोण से सफल हो।"Page Navigation
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