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* डॉ० नाग का भाषण के कर्ताओं और नेताओं को इस ओर चाहिये । हमारे साधुओं को भी इस ध्यान देना चाहिये। बाबू कामता- ओर आकर्षित होना चाहिये । और प्रसाद जो, अपने कुछ साथियों के इसमें शंका नहीं अगर काम करने बल पर इसके भार को वहन करते वाले मिलें तो साधु भी खुशी-खुशी
आ रहे हैं। समाज को अपना सह- अपना जीवन इस ओर लगा सकते योग देकर इनकी सेवाओं का लाभ हैं-मिशन का काम केवल पत्र-व्यवउठाना चाहिये । मिशन का काम हार और अधिवेशनों से पूरा नहीं इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसमें अपना हो जाना चाहिये। जीवन समर्पण करनेवाले कुछ कार्य- मिशन अपने उद्देश्य में प्रगति कर्ताओं की जरूरत है। इस काम को करता रहे और तत्त्वप्रचार से मानवयोजनापूर्वक, पूरी व्यवस्था के साथ जाति के जीवन में, विचारों में ही आगे बढ़ाना चाहिये। साहित्य अधिकाधिक शुद्धि, सफाई, और प्रकाशन, प्रत्यक्ष सेवा, प्रचार, जन- उदारता, राष्ट्रीयता आये इस अभिजाग्रति .. विद्यादान आदि अनेक लाषा के साथ मैं अपना स्थान ग्रहण प्रवृत्तियों में लगन के कार्यकर्ता करता हूँ।
डॉ० नाग का भाषण (श्री अखिल विश्व जैन मिशन के प्रथमाधिवेशन के शुभावसर पर आयोजित अहिंसा सांस्कृतिक सम्मेलन में डॉ० कालिदास नाग एम० ए०, डी० लिट्, एम०पी० के अध्यक्षपद से दिए गए भाषण का सार )
श्री कालिदास नाग ने जैन मिशन आज सारा संसार हिंसा की द्वारा आयोजित अहिंसा संस्कृतिक ओर प्रवृत्त है और उसमें कुछ ही सम्मेलन के अध्यक्षीय भाषण अहिंसा को मानने वाले हैं। जरा देते हुए अहिंसा में विश्वास प्रकट आप विचार करके देखें कि यदि इन किया और कहा कि आज से दोनों में रस्सा खिंचाई हो तो क्या २५०० वर्ष पूर्व महावीर स्वामी नतीजा निकलेगा? इसलिये यह ध्यान एक ऐसे व्यक्ति हुए थे कि जिन्होंने रखने योग्य बात है कि संख्या का अपने प्रयोग से सारे संसार महत्त्व नहीं है, महत्त्व केवल अनुभव की प्रवृत्ति और इतिहास को बदल का है। अभी आम चुनाव के बाद दिया। आपने उनके सिद्धान्तों को आप लोगों की बुद्धि में मतदान की पहले से ग्रहण कर रखा है और उन- प्रतिक्रिया हो रही है; इसलिये आप पर विश्वास किया है तो उसके अनु- उसे ही महत्त्व दिये हुये हैं। यह तो रूप ही कार्य करके दिखाना होगा। केवल धूप छायें है किन्तु अहिंसा