Book Title: Ahimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Jain Mission Aliganj

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Page 64
________________ इन्दौर-प्रवास के संस्मरण (श्री कामता प्रसाद जैन) " श्री अ० विश्व जैन मिशन को अधिवेशन करने के लिये ठीक हैं। कार्य करते हुये तीन वर्ष हो चुके थे। तेरस का जन्मोत्सव मनाकर हमारे सहयोगी संयोजक मित्रों का हर कोई उसमें सम्मिलित हो सुझाव था कि उसका एक अधिवेशन सकेगा । इन्दौर में कई स्थानों कर लिया जावे, जिसमें सभी कार्य के भाइयों ने आगे का अधिवेशन कर्तागण मिलें और समाज-नेताओं अपने-अपने यहाँ कराने की भावना से परामर्श करके आगे बढ़े। तद- प्रकट की। उन्हें चाहिये कि वे ३-४ नुसार मध्य प्रान्त के उत्साही संयो- महीने पहले से अपना निमंत्रण जक श्री प्रकाशचन्द्र जी टोंग्या ने यह भेज दें, जिससे अधिवेशन का काफी आयोजन जुटा दिया । गत महावीर प्रचार किया जा सके ! जयंती से दो दिन पहले ता०६ व ७ परिषद के जबलपुर अधिवेशन अप्रैल ५२ को इन्दौर में मिशन का के पश्चात् शारीरिक स्थिति कुछ पहला अधिवेशन और अहिंसा सांस्कृ- ऐसी हो गई कि बाहर प्रवास में जाना तिक सम्मेलन हुआ। किन्तु हमें रुक गया । इसलिये इन्दौर जाना खेद इस बात का रहा कि हमारे एक समस्या थी। उस समय जब कि वे संयोजक भाई जो एक सम्मेलन गर्मी ऊपर, घर पर कोई दूसरा पुरुष करने की बार-बार प्रेरणा कर नहीं और रोग घुसा हुआ ! फिर भी रहे थे, उसमें उपस्थित न हो, जाना तो था ही ! कर्तव्य पालना सके । कुछ तो दूरी के कारण था। डॉ० काली चरण जी सक्सेना न आये और अधिकांश वीर जयंती भी चलने को तैयार हो गये । हम की बजह से आने में असमर्थ रहे। दोनों प्रातः घर से चल दिये और अतः आगे जो अधिवेशन किया जावे शाम को मथुरा पहुँच गये । वहां से वह वीर जयंती पर न हो तो सबसे जनता एक्सप्रेस रवाना होकर प्रातः अच्छा और यदि सुविधा के लिहाज होते होते नागदा जंकशन पहुँचे । से वीर जयंती पर हो तो तेरस के जन साधारण की सुविधा और पश्चात् चौदस, पूर्णिमा और प्रति- आराम के लिये यह जनता-गाड़ियाँ पदा को रक्खा जावे | मिशन के. बहुत ही उपयोगी हैं । रेलवे कार्यकालीन वर्ष के यह अन्तिम बोर्ड इनकी संख्या और बढ़ा दे और प्रारम्भिक दिन हैं और तो ठीक है । नागदाके होते हुये

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