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* इन्दौर-प्रवास के संस्मरण के
પુરૂ हम लोग उज्जैन पहुँचे और गाड़ी हिन्दुत्व की लाज निवाही है। भारबदल कर दोपहर को इन्दौर पहुंच तीय वीरों ने अपने रक्त से सींच कर गये। मालव भूमि ब्रजभूमि से कुछ इस धरती की स्वाधीनता को सुरक्षित विलक्षण है और पांचाल की भूमि तो रखने का प्रयास किया। मातृ-भूमि दोनों से ही निराली है। सौभाग्य से . की छाती लाल तो हुई पर वह इतनी मुझे पाँचाल भूमि का आवास मिला विकल भी हुई कि विदीर्ण हो रही है । तीर्थङ्कर विमल श्री पावन जन्म- है-आज भी उसमें दरारें पड़े तो भमि और तपोभूमि की छाया मे आश्चये क्या ? पर उज्जैन के पास रहना सुखद और पूतकर है । यहाँ पास उसका सौन्दर्य कुछ और ही हो की भूमि हरी भरी है-आम्रवाटि- जाता है। उसके पास में नदी जो कायें उसमें ऐसी फब रहीं हैं जैसे बहती है और वह विक्रमादित्य की ताबीज में पन्ने जड़े हों। चार-चार लीलाभूमि भी है ! मुसलमानों के पाँच-पाँच मील की दूरी पर यहाँ आने के बाद तक वहाँ जैन श्रमणों गाँव बसे हुये हैं। नदियाँ बहती हैं का केन्द्र भी रहा है ! आगे इन्दौर और नहरें चलती हैं। किन्तु मथुरा अहिल्या वाई की पवित्र नगरी है की ओर बढ़ने पर यह बातें बदलने और सुन्दर भी; किन्तु उसे यूरोपीय लगती हैं। गांव भी इतने नजदीक भौतिक वाद के विषैले नाग ने डस बसे नहीं मिलते और आम्रवाटिकाओं लिया है। मिलों की चिमनियों से का स्थान करीलके वृक्ष ले लेते हैं। निकले हुए धुये के काले बादलों ने भमि भी कुछ रूप बदले हुये मिलती. उस पर अपनी छाया डाल रक्खी है। किन्तु नागदा से १-२ स्टेशन है। मुझे तो ऐसा लगा कि इसके पहले जो आँख खुली और रेल की कारण वहाँ के सामाजिक जीवन खिड़की से बाहर झांका तो मालव में विषमता अधिक है। काश मेरी भूमि की छटा ही निराली थी-आंखों यह धारणा गलत हो । वहाँ मुझे एक के सामने एक विशाल मैदान फैला नर रत्न मिला । वह मिल एरिया के हा था, जिससे दूर क्षितिज में एक चौराहे पर पानों की दुकान करता विंध्य की पहाड़ियों की एक लड़ है। सीधा-सच्चा जैनी है। सत्यप्रहरी-सी खड़ी हुई भासती थी। हिसा-अपरिग्रह को उसने मूर्तमान धरती का रंग कुछ लाल था और बनाया है-उसके चरित्र का प्रभाव उसकी छाती में दरारें बड़ी हुई थीं। लोगों पर पड़ता है, क्योंकि वह व्रत करील की झाड़ियों नहीं थीं-जहाँ पालने में दृढ़ है। अपने नियम से तहाँ एक्का दुक्का पेड़ खड़े थे। अधिक मूल्य के पान वह नहीं बेचेगा मन ने सोचा, मालव ने अन्त तक चाहे एक पान के लाख टके कोई