Book Title: Agam Sutra Satik 07 Upashakdasha AngSutra 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 24
________________ अध्ययनं-१, २७७ ॥२॥ असिणगाविस -'चउत्थंति चतुर्थी पोषधप्रतिमाम्, एवंरूपाम्॥१॥ 'पुव्बोदियपडिमजुओ पालइजो पोसहं तु सम्पुण्णं । अट्ठमिचउद्दसाइसु चउरोमासे चउत्थी सा।।' 'पञ्चमति पञ्चमी प्रतिमाप्रतिमां, कायोत्सर्गप्रतिमामित्यर्थः,स्वूरपंचास्याः॥१॥ ‘सम्ममणुव्वयगुणवयसिक्खावयवं थिरो य नाणी य। __ अट्ठामिघउद्दसीसुपडिमंठाएगराइयं ॥ असिणाण वियडभोई मउलिकडो दिवसबम्भचारी य । राई परिमाणकडो पडिमावजेसु दियहेसु ॥ ॥३॥ झायइ परिमाए ठिओ तिलोयपुज्जे जिणे जियकसाए। नियदोसपञ्चणीयं अन्नं वा पंचजा मासा ।' - 'छट्ठिति षष्ठी अब्रह्मवर्जनप्रतिमाम्, एतत्स्वरूपं चैवम्'पुचोदियगुणजुत्तो विसेसओ विजियमोहणिज्जोय। वज्जइ अबम्भमेगन्तओ य राई पि थिरचित्तो॥ ॥२॥ सिङ्गारकहाविरओ इत्थीए समं रहम्मि नो ठाइ। चयइ य अइप्पसङ्गं तहा विभूसंच उक्कोसं ॥ एवंजा छम्मासा एसोऽहिगओ उ इयरहा दिहूँ। जावजीवंपि इमं वजइ एयम्मि लोगम्मि।' -सत्तमिति सप्तमी सचित्ताहारवर्जनप्रतिमामित्यर्थः, इयं चैवम्-- ॥१॥ 'सच्चित्तं आहारं वजइ असणाइयं निरवसेसं । सेसवयसमाउत्तोजा मासा सत्त विहिपुव्वं ।।" 'अहमिति अष्ठमी स्वयमारम्भवर्जनप्रतिमां, तद्रूपमिदम्॥१॥ __ 'वजइ सयमारम्भ सावजं कारवेइ पेसेहि। वित्तिनिमित्तं पुव्वयगुणजुत्तो अट्ठजा मासा ।।' -'नवमिति नवमीं भृतकप्रेष्यारम्भवर्जनप्रतिमाम्, सा चेयम् पेसेहि आरम्भं सावजं कारवेइ नो गुरुयं । पुवो इयगुणजुत्तो नव मासा जाब विहिणा उ॥ -'दसमिति दशमी उद्दिष्टभक्तवर्जनप्रतिमां, सा चैवम् 'उद्दिकडं भत्तंपि वजए किमुय सेसमारम्भं । सो होइ उ सुरमुण्डो सिहलिं वा धारए कोई ।। ॥२॥ दव्वं पुट्ठो जाणं जाणे इह वयइ नो य नो वेति। पुव्वोदियगुणजुत्तो दस मासा कालमाणेणं ॥' -“एक्कारसमिति एकादशी श्रमणभूतप्रतिमां, तत्स्वरूपं चैतत्॥१॥ 'खुरमुण्डो लोएण व रयहरणं ओग्गहं च घेत्तूणं । समणब्भूओ विहरइ धम्मं काएण फासेन्तो॥ ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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