Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 : उद्देशकः 3] [716 तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से. जहन्नेणं पन्नरसपएसिए पन्नरसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंत तहेव 25 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे उक्कोसेणं अणंत तहेव: 26 / तत्थ णं जे से घणायते से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए जुम्मपएसिए 27 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहन्नेणं पणयालीसपएसिए पणयालीसपएमोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव 28 / तत्थ एंजे से जुम्मपएसिए से जहराणेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव 21 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए ? पुच्छा, गोयमा ! परिमंडले णं संगणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-घणपरिमंडले य पयरपरिमंडले य 30 / तत्थ णं जे से पयरपरिमंडले से जहन्नेणं वीसतिपदेसिए वीसइपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपदेसिए तहेव 31 / तत्थ णं जे से घणपरिमंडले से जहन्नेणं चत्तालीसतिपदेसिए चत्तालीसपएसोगाढे पराणत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणत्ते 32 // सूत्र 726 // परिमंडले णं भंते ! संठाणे दव्वट्टयाए कि कडजुम्मे तेश्रोए दावरजुम्मे कलियोए ?, गोयमा ! नो कडजुम्मे णो तेयोए णो दावरजुम्मे कलिथोए 1 / व? णं भंते ! संठाणे दव्वट्ठयाए एवं चेव एवं जाव अायते 2 / परिमंडला णं भंते ! संगणा दवट्ठयाए कि कडजुम्मा नेयोया दावरजुम्मा कलियोगा पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा सिय तेश्रोगा सिय दावरजुम्मा सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेश्रोगा नो दावरजुम्मा कलिश्रोगा एवं जाव अायता 3 / परिमंडले णं भंते ! संगणे पएसट्टयाए किं कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्मे सिय तेयोगे सिय दावरजुम्मे सिय कलियोए एवं. जाव श्रायते 4 / परिमंडला णं भंते ! संठाणा पएसट्टयाए कि कडजुम्मा ? पुच्छा, गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कड. जुम्मा जाव सिय कलियोगा विहाणादेसेणं कडजुम्मावि तेश्रोगावि दावर
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