Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति): शतकं 30 : उद्देशकः ] [803 पुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य 2 / सुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-पजत्ता सुहुमपुढविकाइया य अपजत्ता सुहुमपुढविकाइया य 3 / बायरपुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं ग्राउकाइयावि चउक्कएणं भेदेणं भाणियव्वा एवं जाव वणस्सइकाइया 4 / अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडी पराणत्ता, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं 5 / पजत्त-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तानो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं 6 / अपजत्त-बायर-पुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्ताश्रो ?, गोयमा ! एवं चेव 8,7 / पजत्त-बायर-पुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो ? एवं चेव 8, एवं एएणं कमेणं जाव बायर-वणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणंति 8 / अपजत्त-सुहम-पुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधंति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधगावि अट्टविहबंधगावि मत्तविह बंधमाणा अाउयवजायो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति अट्ट बंधमाणा पडिपुन्नायो अट्ठ कम्मप्पगडीश्री बंधति 1 / पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधति ?, एवं चेव 10 / एवं सव्वे जाव पजत्तबायर-वणस्सइकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधंति ?, एवं चेव 11 / अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ?, गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अतराइयं, सोइंदियवझ चक्खिदियवझ घाणिदियवझ जिभिदियवझ इथिवेदवझ पुरिसवेदवझ 12 / एवं चउकएणं भेदेणं जाव पज्जत्तबायरवणस्सइकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीश्रो वेदेति ?, गोयमा ! एवं चेव चोइस कम्मप्पगडीयो वेदेति 13 / सेवं भंते ! 2 ति.
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