Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 401
________________ 828 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 5 // कराहलेस्स-भवसिद्धियकडजुम्म २एगिदिया णं भंते ! कोहिंतो उववज्जति ?, एवं कराहलेस्सभवसिद्धिय-एगिदिएहिवि सयं बितियसय-कराहलेस्स-सरिसं भाणियव्वं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // छ8 एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 6 // एवं नीललेस्स-भवसद्धियएहिवि सयं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सत्तमं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 7 // एवं काउलेस्स-भवसिद्धिय-एगिदिएहिवि तहेव एकारस-उद्दे सगसंजुत्तं सयं, एवं एयांणि चत्तारि भवसिद्धियाणि सयाणि, चउसुवि सएसु. सव्वपाणा जाव उववन्नपुव्वा ?, नो इण? सम? 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 2 // अट्ठमं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 8 // जहा भवसिद्धि. पहिं चत्तारि सयाई भणियाई एवं अभवसिद्धिएहिवि चत्तारि सयाणि लेस्सासंजुत्ताणि भाणियवाणि 1 / सब्वे पाणा तहेव नो इण? सम? 2 / एवं एयाइं बारस एगिदियमहाजुम्मसयाई भवंति 3 // 35 // 1-12 / / सेवं भंते / 2 ति जाब विहरति 4 // सूत्रं 851 // पंचतीसइमं सयं समत्तं / / . // इति पञ्चविंशतितमं शतकम् // 35 / / .. . // अथ द्वीन्द्रियाख्यं षडत्रिंशत्तमं शतकम् // कडजुम्मरदिया णं भते ! कयो उववज्जति ?, उववाश्रो जहा वक्कतीए, परिमाणं सोलस वा संखेजा वा उववज्जंति असंखेजा वा उववज्जंति 1 / अवहारो जहा उप्पलुद्देसए, श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं बारस जोयणाई 2 / “एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमुद्दे सए तहेव नवरं तिनि लेस्सायो देवा न उववज्जंति सम्मदिट्टी वा मिच्छट्टिी वा नो सम्मामिच्छादिट्ठी नाणी वा अन्नाणी वा नो मणयोगी वययोगो वा कायजोगी वा 3. / ते णं भंते ! कडजुम्म२.

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