Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं :: शतक 41 :: उद्देशकः 45 ] [836 मेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-8 // जहा कराहलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहिवि चत्तारि उसगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवरं नेरइयाणं उपवायो जहा वालुयप्पभाए सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरड 2 // 41-1 / 12 // काउलेस्सेहिवि एवं चेव चत्तारि उद्दे सगा कायबा नवरं नेरइयाणं उववायो जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-13 / 16 // तेउलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मसुरकुमारा णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं चेव नवरं जेसु उल्नेस्सा अस्थि तेसु भाणियव्वा 1 / एवं एएवि कराहलेस्सासरिसा चत्तारि उद्दे सगा कायव्वा 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // 41-17 / 20 // एवं पम्हलेस्साएवि चत्तारि उद्दे सगा कायव्वा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वेमाणियाण य एएसिं पम्हलेस्सा सेसाणं नत्थि 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-21 / 24 // जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साएवि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा नवरं मणुस्साणं गमयो जहा श्राहि उद्दे सएसु सेसं तं चेव 1 / एवं एए छसु लेस्सासु चउवीसं उद्दे सगा योहिया चत्तारि 2 / सव्वे ते अट्ठावीसं उद्दे सगा भवंति 3 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 4 // 41-25 / 28 // भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ? जहा योहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरवसेसं एए बत्तारि उद्दे सगा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-26 / 32 // कराहलेस्स-भवसिद्धिय-रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, जहा कराहलेस्साए चत्तारि उद्दे सगा भवंति तहा इमेवि भवसिद्धिय-कराहलेस्सेहिवि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा // 41-33 / 36 // एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा // 41-3740 // एवं काउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा // 41-41144 // तेउलेस्सेहिवि . चत्तारि उद्देसगा श्रोहियसरिसा
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