Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 407
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः जाव विहरइ 2 // सत्तमं सयं समत्तं // 40 // 7 // भवसिद्धिय-कडजुम्म२सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उवबज्जंति?, जहा पदमं सन्निसतं तहा णेयव्वं भवसिद्धियाभिलावेणं नवरं सव्वपाणा ?, गो तिण? सम?,, सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // अट्ठमं सयं // 40 // 8 // कराहलेस्सभवसिद्धीय कडजुम्म २सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोहियकराहलेस्ससयं 1 / सेवं भंते / 2 ति जाव विहरइ 2 // नवमं सयं // 40 // 1 // एवं नीललेस्सभवसिद्धीएवि सयं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // दसमं सयं // 40 // 10 // एवं जहा श्रोहियाणि संन्निपंचिंदियाणं सत्त सयाणि भणियाणि एवं भवसिद्धीएहिवि सत्त सयाणि कायवाणि, नवरं सत्तसुवि सएसु सव्वपाणा जाव णो तिणट्टे समढे, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // भवसिद्धियसया समत्ता // चोहसमं सयं समत्तं // 40 // 11 // 14 // अभवसिद्धिय-कडजुम्म 2 सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, उववायो तहेव अणुत्तरविमाणवजो परिमाणं अवहारो उच्चत्तं बंधो वेदो वेदणं उदयो उदीरणा य जहा कराहलेस्ससए कराहलेस्सा वा जाव सुकलेस्सा वा नो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी नो नाणी अन्नाणी एवं जहा कराहलेस्ससए नवरं नो विरया अविरया नो विरया 2 संचिट्ठणा ठिती य जहा मोहिउद्देसए समुग्घाया अादिलगा पंच उव्वट्टणा तहेव अणुत्तरविमाणवजं सबपाणा णो तिणढे सम8 सेसं जहा कराहलेस्ससए जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 ॥४०-१५-१॥पढमसमय अभवसिद्धिय-कडजुम्मरसन्निपंचिदिया णं भंते ' को उववज्जति ?, जहा सन्नीणं पढमसमयउद्दे सए तहेव नवरं समत्तं सम्मामिच्छत्तं नाणं च सव्वत्थ नस्थि सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 नि जाव विहरइ 2 // 40-15-2 // एवं एथवि एक्कारस उद्देसगा

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