Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 32] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः संचिटणा जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं, सागरोपमसयपुहुत्तं सातिरेगं थाहारो तहेव जाव नियमं छदिसि ठिती जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोबमाई छ समुग्घाया आदिल्लगा मारणंतियसमुग्घाएणं समो. हयावि मरंति असमोहयावि मरंति, उवट्टणा जहेव उववायो न कत्थइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति 5 / अह भंते ! सव्वपाणा जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु भाणियव्वं जाव अणंतखुत्तो, नवरं परिमाणं जहा बेइंदियाणं सेसं तहेव. 6 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 7 // 40-1-1 // पदमसमय-कडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, उववायो परिमाणं श्राहारो जहा एएसिं चेव पढमोद्दे सए योगाहणा बंधो वेदो वेदणा उदयी. उदीरगा य जहा बेंदियाणं पढमसमयाणं तहेव कराहलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा, सेसं जहा बेंदियाणं पढमसमइयाणं जाव अणंतखुत्तो नवरं इत्थिवेदगा वा पुरिसंवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा सनिणो असन्नीणो सेसं तहेव एवं सोलससुवि जुम्मेसु परिमाणं तहेव सव्वं 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // 40-1-2 / / एवं एत्थवि एकारस उद्देसगा तहेव, पढमो तइग्रो पंचमो य सरिसगमा सेसा अट्ठवि सरिसगमा, चउत्थ-छट्ट-अट्ठम-दसमेसु नत्थि विसेसो कायवो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 864 // // 40-1-3 / 11 // सते पढमसन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयं समतं // 40 // 1 // कराहलेस्स-कडजुम्म रसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, तहेव जहा पढमुद्दे सयो सन्नीणं, नवरं बंधो वेग्रो उदयी उदीरणा लेस्सा बंधगसन्ना कसायवेदबंधगा य एयाणि जहा बेंदियाणं 1 / कराहलेस्साणं वेदो तिविहो अवेदगा नत्थि संचिटणा जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाइं एवं ठितीएवि नवरं ठितीए अंतोमुहत्तमन्भहियाई न भन्नंति सेसं जहा एएसिं चेव पढमे उद्देसए जाव अणंत
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