Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : 36 :: अवांतर श० 1-6 ) / 826 दिया कालयो केवचिरं होइ ?. गोयमा / जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं ठिती जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई 4 / थाहारो नियमं छदिसि, तिन्नि समुग्घाया सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु 5 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 6 // ३दियमहाजुम्मसए पढमो उद्दे सश्रो समत्तो // 36-1-1 // पढमसमयकडजुम्मरदिया णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमसमयउद्देसए दस नाणत्ताइं ताई चेव दस इहवि 1 / एकारसमं इमं नाणत्तं-नो मणयोगी नो वइयोगी काययोगी सेसं जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्दसए 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 3 // 36-1-2 // एवं एएवि जहा. एगिदियमहाजुम्मेसु एकारस उद्देसगा तहेव भाणियव्वा नवरं चउत्थाटुंअट्ठमदसमेसु सम्मत्तनाणाणि न भवंति, जहेव एगिदिएसु पढमो तइयो पंचमो य एकगमा सेसा अट्ट एकगमा // 36-1-3 // 11 // पढमं बेइंदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 36 // 1 // कराहलेस्सकडजुम्मर बेइंदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एवं चेव कराहलेस्सेसुवि एकारसउद्देसगसंजुत्तं सयं, नवरं लेस्सा संचिट्टणा ठिती जहा एगिदियकराहलेस्साणं // बितियं बेंदियसयं सम्मत्तं // 36 // 2 // एवं नीललेस्सेहिवि सयं / ततियं सयं समत्तं // 36 // 3 // एवं काउलेस्सेहिवि, सयं 4 समत्तं // 36 // 4 // भवसिद्धियकडजुम्मरबेइंदिया णं भंते !, एवं भवसिद्धियसयावि चत्तारि तेणेव पुञ्चगमएणं नेयव्वा नवरं सव्वे पाणा तहेव णो तिण? समढे 1 / सेसं तहेव श्रोहियसयाणि चत्तारि 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 3 / छत्तीसमसए अट्ठमं सयं समत्तं // 36 // 5-8 // जहा भवसिद्धियसयाणि चत्तारि एवं अभवसिद्धियसयाणि चत्तारि भाणियब्वाणि नवरं सम्मत्तनाणाणि नत्थि, सेसं तं चेव 1 / एवं एयाणि बारस बेइंदियमहाजुम्मसयाणि भवंति 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 46
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