Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 379
________________ 866] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः परंपरोक्वन्नगं-कराहलेस्स-अपजत्त--सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव श्रोहियो. परंपरोववन्नग-उद्देसयो तहेव जाव वेदेति 10 / एवं एएणं अभिलावेणं जहेब श्रोहिणगिदियसए एकारस उद्दे सगा भणिया तहेव कराहलेस्समतेवि भाणियबा जाव अवरिम-चरिम-कराहलेस्साएगिंदिया 11 // सूत्रं 848 // 33-2-3 // 11 बितियं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 2 // ..जहा कराहलेस्सेहिं भणियं एवं नीललेस्सेहिवि सयं भाणियब्वं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ. 2 // ततियं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 3 // ____ एवं काउलेस्सेहिवि सयं भाणियव्वं नवरं काउलेस्सेति अभिलावो भाणियवो.३ / चउत्थं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 4 // कइविहा णं भंते ! भवसिद्धीया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंवविहा भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयति 4 / भवसिद्धियअपजत्त-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताश्रो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहेब पढमिल्लग. एगिदियसयं तहेव भवसिद्धियसर्यपि भाणियब्वं 5 / उद्दे सगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमोत्ति 6 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 7 / पंचमं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 5 // कइविहा j भंते ! कराहलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पराण त्ता ?, मोयमा ! पंचविहा कराहलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता, पुढविकइया जाव वणस्सइकाइया 8 / कराहलेस्स-भवसिद्धिय-पुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुम-पुढवि. काइया य बायरपुढविकाइया य 1 / कराहलेस्स-भवसिद्धिय-सुहमपुढवि. काइया णं भंते ! कइविहा पराणत्ता 1. गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा

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