Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 33 : अवांतर शतकं 11] / 807 पजत्तगा य अपजत्तगा य, एवं बायरावि 10 / एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कयो भेदो भाणियबो 11 / कराहलेस्स-भवसिद्धिय-अपजत्तसुहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, एवं एएणं अभिलावेणं जहेब मोहिउद्दसए तहेव जाव. वेदेति 12 / कइविहा णं भंते ! अणंतरोववनगा कराहलेस्साभवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा अणंतरोक्वनगा जाव वणस्सइकाइया 13 / अणंतरो. ववन्नग-कराहलेस्स-भवसिद्धिय-पुढविकाइयाणं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया, एवं दुयो भेदो 14 / अणंतरोववन्नग-कराहलेस्स-भवसिद्धीय-सहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव श्रोहियो अणंतरोववन्नउद्देसयो तहेव जाव वेदेति 15 / एवं एएणं अभिलावणं एकारसवि उद्देसगा तहेव भाणियव्या जहा श्रोहियसए जाव अचरिमोत्ति 16 / छट्ट एगिदियसयं समत्तं // 33 // 6 // [ग्रन्थाग्रं१५०००] जहा कराहलेसभवसिद्धिएहि सयं भणियं एवं नीललेस्स-भवसिद्धिएहिवि सयं भाणियव्वं 17 / सत्तसं एंगिदियसयं समत्तं // 33 // 7 // एवं काउलेस्सभवसिद्धीएहिवि सयं. 18 / अट्ठमं एगिदियसयं समतं // 33 // 8 // कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धीया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा अभवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, एवं जहेव भवसिद्धीयसयं भणियं नवरं नव उद्दे सगा चरमअचरमउद्दे सगवजा सेसं तहेव 19 / नवमं एगिदियसयं समत्तं // 33 // 6 // एवं कराहलेस्स-अभवसिद्धीय-एगिदियसयपि 20 / दसमं एगिदियसयं समत्तं // 33 // 10 // नीललेस्स-अभवसिद्धीय-एगिदिएहिवि सय 21 // 33-11 //
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