Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 393
________________ 820 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः चेव उववारयव्यो 2 / कहिन्नं भंते ! कराहनेस्सअपजत्त-बायर-पुढविकाइ. याणं ठाणा पराणत्ता, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोहिउद्देसयो जाव तुल्लट्ठिइयत्ति 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // 34-2-1 // एवं एएणं अभिलावेणं जहेब पढमं सेढिसयं तहेव एक्कारस उद्देसगा भाणियवा // 34-2-4 / 11 / / बितियं एगिदियसेढिसयं समत्तं // 34 // 2 // एवं नीललेस्सेहिवि तइयं सयं // 34 // 3 // काउलेस्सेहिवि सयं, एवं चेव चउथं सयं // 34 // 4 // भविसिद्धियएगिदिएहिंवि मयं पंचम समत्तं // 34 // 5 // कइविहा णं भंते ! यणंतरोववन्ना कराहलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता ?, एवं जहेब यणंतरोववन्नउद्देसयो योहियो तहेब 1 / कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्ना कराहलेस्स-भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परंपरोक्वन्ना कराहलेस्स भवसिद्धिय-एगिदिया पराणत्ता, श्रोहियो भेदो चउकयो जाव वणस्सइकाइयति 2 / परंपरोववन्न-कराहलेस्स-भवसिद्धिय--अपजत्त-सुहुम--पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एवं एएणं अभिलावेणं जहेव श्रोहियो उद्दे. सयो जाव लोयचरमंतेत्ति, सव्वत्थ कराहलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयव्वो 3 / कहिन्नं भंते! परंपरोववन्न-कराहलेस्स-भवसिद्धिय-पजत्त-बायर-पुटविकाइयाणं गणा पराणत्ता, एवं एएणं अभिलावेणं जहव योहियो उद्देसयो जाव तुलट्ठिइयत्ति, एवं एएणं अभिलावेणं कगहलेस्स-भवसिद्धिय-एगिदिएहिवि तहेव एक्कारसउद्दे सगसंजुत्तं सतं 5 // 34-6:1 / 11 // छट्ट सतं समत्तं // 33 // 6 // नीललेस्स-भवसिद्धियएगिदिएसु सयं सत्तम समत्तं // 34 // 7 // एवं काउलेस्स-भवसिद्धियएगिदियेहिवि सयं अट्टम सयं // 34 // 8 // जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाणि एवं अभवसिद्धिएहिवि चत्तारि सयाणि भाणियवाणि, नवरं चरमअचरमवजा नव उद्दे सगा भाणियव्वा, सेसं तं चेक, एवं एयाई बारस एगिदियसेदीसयाई // 34 //

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