Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 812] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, गोयमा ! तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 1 / केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहणं उववज्जे जा ?, गोयमा ! अपजत्त-सुहुमपुढविकाइए णं ग्रहोलोय-खेतनालीर बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए 2 जे भविए उड्डलोय-खेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेते अपजत्त-सुहुम पुढविकाइयत्ताए एगपयरंमि अणुसेटीए(दि) उववजित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा जे भविए. विसेढाए(दि) उजित्तए से णं चउसमइएण विग्गहेणं उववज्जेजा से तेणट्टेणं जाव उववज्जेजा 2 / एवं पजत्त-सुहुम पुढविकाइयत्ताएऽवि, एवं जाव पजत. सुहुम-तेउकाइयत्ताए 3 / अपजत्त-सुहुम पुढविकाइए णं भंते ! अहेलोग जाव समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपजत्त-बायर-तेउकाइयत्ताए उववजित्तप से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, गोयमा ! दुममइएगा वा तिममइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 4 / से केणटेणं ?, एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पराणत्तायो, तंजहा-उज्जुश्रायता जाव अद्धचकवाला, एगयोवंकाए सेटीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उवव. ज्जेजा दुहयोवंकाए सेटीए उपवजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा से तेण?णं जाव उववज्जेजा 5 / एवं. पज्जत्तएसुवि बायरतेउकाइएसवि उववाएयत्वो, वाउकाइय-वणस्सइकाइयत्ताए चउक्कएणं भेदेणं जहा अाउकाइयत्ताए तहेव उववाएयव्यो 27, एवं जहा अपजत्त-सुहुम-पुढविक्काइयस्स गमयो भणियो एवं पजत-सुहुम-पुढविकाइयस्सवि भाणियव्वो तहेव वीसाए ठाणेसु उववाएयब्वो 40, अहोलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहएत्ता एवं बायरपुढविकाइयस्सवि अपजत्तगस्स पजतगस्स य भाणियव्वं 80, एवं ग्राउकाइयस्स चउब्विहस्सवि भाणियव्वं 160, सुहुमतेउक्काइयस्म दुविहस्सवि एवं चेव 200, 6 / श्रपजत्त-वायरतेउक्काइए णं भंते ! समयखेत्ते
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