Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 804] .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जावः विहरइ. 14 // सूत्रं 844 // 33-1 // कइविहा णं भंते ! अणतरोववन्नगा एगिदिया पराणता ?, गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा–पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया 1 / अणंतरोववन्नगा णं भंते ! पुढविकाइया कतिविहा पराणत्ता , गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहमपुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य, एवं. दुपएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया 2 / यणंतरोववन्नग-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते / कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं 3 / अणंतरोववन्नग-बादरपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! श्रट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं जाव अणंतरोक्वन्नंग-बादर-वणस्सइकाइयाणंति 4 / अणंतरोववन्नग-सुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधंति ?, गोयमा ! श्राउयवजारो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधंति, एवं जाव अणंतरोववनग-बादरवणस्सइकाइयत्ति 5 / अणंतरोववन्नगःसुहुम-पुढविकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो वेदेति ?, गोयमा ! चउद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तंजहानाणावरणिज्ज तहेव जाव पुरिसवेदवझ, एवं जाव अणंतरोववन्नग-बादरवणस्सइकाइयत्ति 6 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 7 // सूत्रं 845 // 33-2. // कतिविहा णं भंते ! परंपरोववनगा एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया एवं चउको भेदो जहा श्रोहिउद्देसए 1 / परंपरोववन्नग-अपज्जत्त-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कह कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा भोहिउद्दसए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चउद्दस वेदेति 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 846 // 33-3 // अणंतरोगाढा जहा अणंतरोववन्नगा // 33-4 // परंपरोगाढा जहा
Page Navigation
1 ... 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418