Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 370
________________ पामव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 30 :: उद्देशकः ] [767 याणं तं तस्स भाणियव्वं, एवं सबजीवाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं ग्रणंतरोववनगाणं जं जहिं अस्थि तं तहिं भाणियव्वं 2 / किरियावाई णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरझ्याउयं पकरेंति ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेग्इयाउयं पकरेंति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरंति, एवं अकिरियावादीवि अन्नाणियवादीवि चणइयवादीवि 3 / सलेस्सा णं भंते ! किरिवादी अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरझ्याउयं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्याउयं पकरेइ जाव नो देवाउयं पकरेइ एवं जाव वेमाणिया, एवं सब्वट्ठाणेसुवि अणंतरोववन्नगा नेरइया न किंचिवि श्राउयं पकरंति जाव. अणगारोवउत्तत्ति, एवं जाव वेमाणिया नवरं जं जस्स. अत्थि तं तस्स भाणियव्वं 4 / किरियावादी णं भंते ! यणंतरोक्वन्नगा नेरइया किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ?, गोयमा ! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया 5 / अकिरियावादी णं पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि / सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंतरोववनगा नेरइया कि भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ?, गोयमा ! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्दसए नेरइयाणं वत्तव्वया भणिया नहर इहवि भाणियब्वा जाव अणगारोवउत्तत्ति एवं जाव वेमाणियाणं नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं, इमं से लक्खणं-जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धिया नो अभवमिद्रीया, सेसा सव्वे भवसिद्धीयावि अभवसिद्धियावि 7 / सेवं भते ! 2 इति जाव विहरति 8 // सूत्र 826 // 30-2 // परंपरोववनगा णं भंते ! नेरइया किरियावादी एवं जहेव श्रोहियो उद्दसत्रो तहेव परंपरोववन्नएसुवि नेरइयादीग्रो तहेव निरवसेसं भाणियव्वं तहेव तियदंडगसंगहियो 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरइ 2 // सूत्रम् 827 // 30-3 // एवं एएणं कमेणं

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