Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 30 :: उद्देशकः . ] [763 पुच्छा. गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, जइ देवाउयं पकरेइ तहेव 15 / नेउलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी कि नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ मणुस्साउयपि पकरेइ तिरिक्खनोणियाउयंपि पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सावि सुकलेस्सावि नेयवा 16 / अल्लेसा णं भंते ! जाव किरियावादी किं णेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्याउयपि पकरेइ एवं चउः विहंपि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा 17 / सम्मदिट्ठी णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, मिच्छादिट्ठी जहा कराहपक्खिया 18 | सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा अन्नाणियवादी कि नेरझ्याउयं जहा अलेस्सा, एवं वेणइयवादीवि, णाणी भाभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य श्रोहि. नाणी य जहा सम्मट्ठिी 11 / मणपजवणाणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नोतिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ नो मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयं पकरेइ 20 / जइ देवाउयं पकरेइ किं भवणवासिदेवाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेइ नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेइ नो जोइसियदेवाउयं पकरेइ वेमाणियदेवाउयं पकरेइ 21 / केवलनाणी जहा अलेस्सा, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कराहपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा मणपजवनाणी, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा अलेस्सा, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहा अलेस्सा, सयोगी जाव काययोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता यथणागारोवउत्ता य जहा मलेस्सा 22 ॥सूत्र 824 // किरियावादी णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं
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