Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 348
________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :, शतकं 25 :: उद्देशकः 7 ] [ 775 मग्गो 21 / से किं तं पायच्छित्ते ?, पायच्छित्ते 2 दसविहे पराणत्ते, नंजहा-यालोयणारिहे जाव पारंचियारिहे, सेत्तं पायच्छित्ते 22 / से कि तं विणए ?, विणए सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-नाणविणए दंसणविणए चरित्तविणए मणविणए वयविणए कायविणए लोगोवयारविणए 23 / से किं तं नाणविणए ?, 2 पंचविहे पण्णरे, तंजहा-श्राभिणियोहिय. नाणविणए जाव केवलनाणविणए, सेत्तं नाणविणए. 24 / से किं तं दसणविणए ?, दंसणविणए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुस्सूसणाविणए य अणचासादणाविणए य 25 / से कि तं सुस्सूमणाविणए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-सकारेइ वा सम्माोइ वा जहा चोदसमसए ततिए उद्देसए जाव पडिसंसाहणया, सेत्तं सुस्सूसणाविणए 26 / से किं तं अणचासायणाविणए ?, 2 पणयालीसइविहे पराणत्ते, तंजहा-अरिहंताणं अणचासादणया अरिहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अणचासादणया पायरियाणं अणचासादणया उववज्झायाणं अणचासादणया थेराणं अणचासादणया कुलस्सयणचासादणया / गणस्स अणचासादणया संघस्स अणचासादया किरियाए अंणचासांदणया संभोगस्स अणचासायणया श्राभिणिबोहियनाणस्स अणचासायणया जाव केवलनाणस्त अणचासादणया 15, एएसि चेव भत्तिबहुमाणेणं एएसिं चेव वन्नसंजलणया, सेत्तं श्रणञ्चासायणयाविणए, सेत्तं दंसणविणए 27 / से किं तं चरित्तविणए ?, 2 पंचविहे पराणते, तंजहा-सामाझ्यचरित्तविणए जाव. अहक्खायचरित्तविणए, मत्तं चरित्तविणए 28 | से किं तं मणविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थमणविणए अपसत्थमणविणए य 21 / से कि तं पसत्थमणविणए ?, पसत्थमणविणाए-जे य मणे असावज्जे अकिरिए अककसे यकडुए अणिट्ठरे अफरुसे अणराहयकरे अछेयकरे अभेयकरे अपरि. लावणकरे अणुइवणकरे अभूयोरघाइए तहप्पगारं मगो पहारेज्जा, पसत्थ

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