________________
ज्ञान के पांच प्रकार]
[५९ (१) सत्पदप्ररूपणा (१) क्षेत्रद्वार—अढाईद्वीप के अन्तर्गत पन्द्रह कर्मभूमि से सिद्ध होते हैं। संहरण की अपेक्षा दो समुद्र, अकर्मभूमि, अन्तरद्वीप, ऊर्ध्वदिशा में पाण्डुकवन तथा अधोदिशा में अधोगामिनी विजय से भी सिद्ध होते हैं।
(२) कालद्वार—अवसर्पिणी काल के तीसरे आरे के उतरते समय ३ वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर, सम्पूर्ण चौथे आरे तथा पाँचवें आरे में ६४ वर्ष तक सिद्ध होते हैं। उत्सर्पिणी काल के तीसरे आरे में और चौथे आरे में कुछ काल तक सिद्ध हो सकते हैं।
(३) गतिद्वार—प्रथम चार नारकों से, पृथ्वी-पानी और बादर वनस्पति से, संज्ञी तिर्यंचपंचेन्द्रिय, मनुष्य भवनपति, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक-चारों जाति के देवों से निकले हुए जीव मनुष्यगति प्राप्त कर. सिद्ध हो सकते हैं।
(४) वेदद्वार–वर्तमानकाल की अपेक्षा अपगत-वेदी (वेदरहित) ही सिद्ध होते हैं, पहले चाहे उन्होंने (स्त्रीवेद, पुरुषवेद या नपुंसकवेद) तीनों वेदों का अनुभव किया हो।
(५) तीर्थद्वार—तीर्थंकर के शासनकाल में ही अधिक सिद्ध होते हैं। बहुत कम जीव अतीर्थ में सिद्ध होते हैं।
__(६) लिङ्गद्वार—द्रव्य से स्वलिङ्गी, अन्यलिङ्गी और गृहिलिङ्गी सिद्ध होते हैं। भाव से स्वलिङ्गी ही सिद्ध होते हैं।
(७) चारित्रद्वार—चारित्र पाँच होते हैं। इनके आधार पर कोई सामायिक, सूक्ष्मसंपराय और यथाख्यात चारित्र से, कोई सामायिक, छेदोपस्थानीय, सूक्ष्मसपंराय एवं यथाख्यात चारित्र से तथा कोई पाँचों से ही सिद्ध होते हैं। यथाख्यातचारित्र के अभाव में कोई आत्मा सिद्ध नहीं हो सकती, वह सिद्धि का साक्षात् कारण है।
(८) बुद्धद्वार—प्रत्येकबुद्ध, स्वयंबुद्ध और बुद्धबोधित—इन तीनों अवस्थाओं से सिद्ध होते
(९) ज्ञानद्वार साक्षात् रूप से केवलज्ञान से ही सिद्ध होते हैं, किन्तु पूर्वावस्था की अपेक्षा से मति, श्रुत और केवलज्ञान से, कोई मति, श्रुत अवधि और केवलज्ञान से और कोई मति, श्रुत, मन:पर्यव और केवलज्ञान से तथा कोई मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यव और केवलज्ञान से सिद्ध होते
(१०) अवगाहनाद्वार-जघन्य दो हाथ, मध्यम सात हाथ और उत्कृष्ट ५०० धनुष की अवगाहना वाले सिद्ध होते हैं।
(११) उत्कृष्टद्वार—कोई सम्यक्त्व प्राप्त होने के बाद प्रतिपाती होकर देशोन अर्द्धपुद्गल परावर्तन काल व्यतीत होने पर सिद्ध होते हैं। कोई अनन्तकाल के बाद सिद्ध होते हैं तथा कोई असंख्यात और कोई संख्यातकाल के पश्चात् सिद्ध होते हैं।