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मतिज्ञान]
[९३ का प्रमाण है।
(१६) पति किसी गाँव में दो भाई रहते थे पर उन दोनों की पत्नी एक ही थी। स्त्री बड़ी चतुर थी अत: कभी यह जाहिर नहीं होने देती थी कि अपने दोनों पतियों में से किसी एक पर उसका अनुराग अधिक है। इस कारण लोग उसकी बड़ी प्रशंसा करते थे। धीरे-धीरे यह बात राजा के कानों तक पहुँची और वह बड़ा विस्मित हुआ। किन्तु मन्त्री ने कहा-'महाराज! ऐसा कदापि नहीं हो सकता। उस स्त्री का अवश्य ही एक पर प्रेम अधिक होगा।' राजा ने पूछा-यह कैसे जाना जाए?' मन्त्री ने उत्तर दिया-देव! मैं शीघ्र ही यह जानने का उपाय करूंगा।'
एक दिन मन्त्री ने उस स्त्री के पास सन्देश लिखकर भेजा कि वह अपने दोनों पतियों को पूर्व और पश्चिम दिशा में अमुक-अमुक ग्रामों में भेजे। ऐसा सन्देश प्राप्त कर स्त्री ने अपने उस पति को, जिस पर कम राग था, पूर्ववर्ती ग्राम में भेज दिया और जिस पर अधिक स्नेह था उसे पश्चिम के गाँव में भेजा। पूर्व की ओर जाने वाले पति को जाते और आते दोनों बार सूर्य का ताप सामने रहा। पश्चिम की ओर जाने वाले के लिए सूर्य दोनों समय पीठ की तरफ था। इससे सिद्ध हुआ कि स्त्री का पश्चिम की ओर जाने वाले पति पर अधिक अनुराग था। किन इस बात को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि दोनों को दो दिशाओं में जाना आवश्यक था, अतः कोई विशेषता ज्ञात नहीं होती थी। इस पर मंत्री ने दूसरे उपाय से परीक्षा लेना तय किया।
___ अगले दिन ही मंत्री ने पुनः एक संदेश दो पतियों वाली उस स्त्री के लिए भेजा कि वह अपने पतियों को एक ही समय दो अलग-अलग गाँवों में भेजे। स्त्री ने फिर उसी प्रकार दोनों को दो गाँवों को भेज दिया किन्तु कुछ समय बाद मंत्री के द्वारा भेजे हुए दो व्यक्ति एक साथ ही उस स्त्री के पास आए और उन्होंने उसके दोनों पतियों की अस्वस्थता के समाचार दिये। साथ में कहा कि जाकर उनकी सार-सम्हाल करो।
पतियों के समाचार पाने पर जिसके प्रति उसका स्नेह कम था, उसके लिए स्त्री बोली—'यह तो हमेशा ऐसे ही रहते हैं।' और दूसरे के लिए बोली-'उन्हें बड़ा कष्ट हो रहा होगा। मैं पहले उनकी ओर ही जाती हूँ।' ऐसा कहकर वह पहले पश्चिम की ओर रवाना हो गई। इस प्रकार एक पति के लिए उसका अधिक प्रेम मन्त्री की औत्पत्तिकी बुद्धि से साबित हो गया और राजा बहुत सन्तुष्ट हुआ।
(१७) पुत्र—किसी नगर में एक व्यापारी रहता था। उसकी दो पत्नियाँ थी। एक के पुत्र उत्पन्न हुआ पर दूसरी बन्ध्या ही रही। किन्तु वह भी बच्चे को बहुत प्यार करती थी तथा उसकी देख-भाल रखती थी। इस कारण बच्चा यह नहीं समझ पाता था कि मेरी असली माता कौनसी है? एक बार व्यापारी अपनी पत्नियों के और पुत्र के साथ देशान्तर में गया। दुर्भाग्य से मार्ग में व्यापारी की मृत्यु होगई। उसकी मृत्यु के पश्चात् दोनों स्त्रियों में पुत्र के लिए विवाद हो गया। एक कहती-बच्चा मेरा है, अतः घर-बार की मालकिन मैं हूँ।' दूसरी कहती'नहीं, पुत्र मेरा है, इसलिए पति की सम्पूर्ण सम्पत्ति की स्वामिनी मैं हूँ।' विवाद बहुत बड़ा और न्यायालय में पहुँचा।