________________
श्रुतज्ञान]
[२०५ ' से तं सिद्धेसणिआ-परिकम्मे।
९८–प्रश्न—सिद्धश्रेणिका-परिकर्म कितने प्रकार का है ?
उत्तर—वह चौदह प्रकार का है, यथा—(१) मातृकापद (२) एकार्थकपद (३) अर्थपद (४) पृथगाकाशपद (५) केतुभूत (६) राशिबद्ध (७) एकगुण (८) द्विगुण (९) त्रिगुण (१०) केतुभूत (११) प्रतिग्रह (१२) संसारप्रतिग्रह (१३) नन्दावर्त (१४) सिद्धावर्त। इस प्रकार सिद्धश्रेणिका परिकर्म है।
विवेचन सूत्र में सिद्धश्रेणिका पारकर्म के चौदह भेदों के केवल नामोल्लेख किए गए हैं, विस्तृत विवरण नहीं है। दृष्टिवाद के सर्वथा व्यवछिन्न हो जाने के कारण इसके विषय में अधिक नहीं बताया जा सकता, सिर्फ अनुमान किया जाता है कि 'सिद्धश्रेणिका' पद के नामानुसार इसमें विद्यासिद्ध आदि का वर्णन होगा। चौथा पद 'पाढो आगासपयाई', किसी-किसी प्रति में पाया जाता है। मातृकापद, एकार्थपद, तथा अर्थपद, के लिए सम्भावना की जाती है कि ये तीनों मंत्र विद्या से संबंध रखते होंगे; कोश से भी इनका संबंध प्रतीत होता है। इसी प्रकार राशिबद्ध, एकगुण, द्विगुण और त्रिगुण, ये पद गणित विद्या से संबंधित होंगे, ऐसा अनुमान है। तत्त्व केवलीगम्य ही है।
२.मनुष्यश्रेणिका परिकर्म ९९-से किं तं मणुस्ससेणिआ परिकम्मे ?
मणुस्सअणिआपरिकम्मे चउद्दसविहे पण्णत्ते तं जहा (१) माउयापयाइं (२) एगट्ठिठअपयाइं (३) अट्ठपयाई (४) पाढोआगा (मा) सपयाइं (५) केउभूअं (६) रासिबद्धं (७) एगगुणं (८) दुगुणं (९) तिगुणं (१०) केउभूअं (११) पडिग्गहो (१२) संसारपडिग्गहो (१३) नंदावत्तं (१४) मणुस्सावत्तं। से तं मणुस्ससेणिआ-परिकम्मे।
६९—मनुष्यश्रेणिका परिकर्म कितने प्रकार का है? मनुष्यश्रेणिका-परिकर्म चौदह प्रकार का प्रतिपादित है, जैसे
(१) मातृकापद, (२) एकार्थक पद, (३) अर्थपद, (४) पृथगाकाशपद, (५) केतुभूत, (६) राशिबद्ध, (७) एकगुण, (८) द्विगुण, (९) त्रिगुण, (१०) केतुभूत, (११) प्रतिग्रह, (१२) संसारप्रतिग्रह, (१३) नन्दावर्त और (१४) मनुष्यावर्त।
विवेचन उक्त सूत्र में मनुष्यश्रेणिका परिकर्म का वर्णन किया है। अनुमान किया जाता है कि इसमें भव्य-अभव्य, परित्तसंसारी, अनन्तसंसारी, चरमशरीरी और अचमरशरीरी, चारों गतियों से आनेवाली मनुष्यश्रेणी, सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और मिश्रदृष्टि, आराधक-विराधक, स्त्री, पुरुष, नपुंसक, गर्भज, सम्मूर्छिम, पर्याप्तक, अपर्याप्तक, संयत, असंयतं, संयतासंयत, मनुष्यश्रेणिका, उपशमश्रेणि तथा क्षपकश्रेणिरूप मनुष्यश्रेणिका का वर्णन होगा।