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[नन्दीसूत्र से त्तं अणंतरसिद्धकेवलनाणं। प्रश्न—अनन्तरसिद्ध-केवलज्ञान कितने प्रकार का है? उत्तर—अनन्तरसिद्ध केवलज्ञान १५ प्रकार से वर्णित है, यथा
(१) तीर्थसिद्ध (२) अतीर्थसिद्ध (३) तीर्थंकरसिद्ध (४) अतीर्थंकरसिद्ध (५) स्वयंबुद्धसिद्ध (६) प्रत्येकबुद्धसिद्ध (७) बुद्धबोधितसिद्ध (८) स्त्रीलिंगसिद्ध (९) पुरुषलिंगसिद्ध (१०) नपुंसकलिंगसिद्ध (११) स्वलिंगसिद्ध (१२) अन्यलिंगसिद्ध (१३) गृहिलिंगसिद्ध (१४) एकसिद्ध (१५) अनेकसिद्ध।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में अनन्तरसिद्ध केवलज्ञान के संबंध में विवेचन किया गया है। जिन आत्माओं को सिद्ध हुए एक ही समय हुआ हो, उन्हें अनन्तरसिद्ध कहते हैं और उनका ज्ञान अनन्तरसिद्धकेवलज्ञान कहलाता है। अनन्तरसिद्धकेवलज्ञानी भवोपाधि भेद से १५ प्रकार के हैं। यथा
(१) तीर्थसिद्ध जिसके द्वारा संसार तरा जाए उसे तीर्थ कहते हैं। चतुर्विध श्रीसंघ का नाम तीर्थ है। तीर्थ की स्थापना होने पर जो सिद्ध हों, उन्हें तीर्थसिद्ध कहते हैं। तीर्थ की स्थापना तीर्थंकर करते हैं।
(२) अतीर्थसिद्ध तीर्थ की स्थापना होने से पहले अथवा तीर्थ के व्यवच्छेद हो जाने के पश्चात् जो जीव सिद्धगति प्राप्त करते हैं वे अतीर्थसिद्ध कहलाते हैं। जैसे माता मरुदेवी ने तीर्थ की स्थापना से पूर्व सिद्धगति पाई। भगवान् सुविधिनाथजी से लेकर शांतिनाथ भगवान् के शासन तक बीच के सात अन्तरों में तीर्थ का विच्छेद होता रहा। उस समय जातिस्मरण आदि ज्ञान से जो अन्तकृत केवली हुए उन्हें भी अतीर्थसिद्ध कहते हैं।
(३) तीर्थंकरसिद्ध विश्व में लौकिक लोकोत्तर पदों में तीर्थंकर का पद सर्वोपरि है। जो इस पद की प्राप्ति करके सिद्ध हुए हैं वे तीर्थंकरसिद्ध हैं।
(४) अतीर्थंकरसिद्ध तीर्थंकर के अतिरिक्त अन्य जितने चक्रवर्ती, बलदेव, माण्डलिक, सम्राट, आचार्य, उपाध्याय, गणधर, अन्तकृत् केवली, सामान्य केवली आदि सिद्ध हुए वे अतीर्थंकरसिद्ध कहलाते हैं।
(५) स्वयंबुद्धसिद्ध जो किसी बाह्य निमित्त के बिना जातिस्मरण अथवा अवधिज्ञान के द्वारा स्वयं संसार से विरक्त हो जाएँ उन्हें स्वयंबुद्ध कहते हैं। स्वयंबुद्ध होकर सिद्ध होने वाले स्वयंबुद्धसिद्ध हैं।
(६) प्रत्येकबुद्धसिद्ध जो उपदेशादि श्रवण किये बिना, बाह्य किसी निमित्त से बोध प्राप्त करके सिद्ध होते हैं वे प्रत्येकबुद्धसिद्ध कहलाते हैं। जैसे—करकण्डू एवं नमि राजर्षि आदि।
(७) बुद्धबोधितसिद्ध—जो तीर्थंकर अथवा आचार्य आदि के उपदेश से बोध प्राप्त कर सिद्धगति प्राप्त करें उन्हें बुद्धबोधितसिद्ध कहते हैं । यथा चन्दनबाला, जम्बूकुमार एवं अतिमुक्तकुमार