Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 531
________________ सुबोधिनी टीका. सू. ७५ सुधर्मसभावर्णनम् मूलम् -सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं मणोगुलियासाहस्सीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पुरस्थिमेणं सोलस साहस्सीओ, पच्चत्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, दाहिणेणं अट्ठसाहस्सोओ, उत्तरेणं अट्ठसाहस्सीओ । तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवण्णरुप्पमया फलगा पण्णत्ता । तेसु णं सुवन्नरुप्पमएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंतगा पण्णत्ता । तेसु णं वइरामएसु णागदंतएसु किण्हसुत्तबद्धवदृवग्घारियमल्लदाम कलावा चिठ्ठति । सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं गोमाणसियासाहस्सीओ पन्नत्ताओ, जह मणोसेलिया जाव णागदंतगा । तेसु णं णागदंतएसु बहवे रययामया सिकगा पण्णत्ता । तेसु णं रययामएसु सिकगेसु बहवे वेलिया मईओ धूवघडियाओ पण्णत्ताओ । ताओ णं धूवघडियाओ कालागुरु जाव चिट्ठति ॥ सू० ७५ ॥ छाया-सभायां खलु सुधर्मायाम् अष्ट चत्वारिंशद् मनोगुलिकासा हरयः प्रज्ञप्ताः तद्यथा-पौरस्त्ये षोडशसाहस्रथः, पाश्चात्ये षोडशसाहस्रथः, गया हैं त्रिसोपानप्रतिरूपकों का वर्णन १२ वे सूत्र में कथित यानविमान के वर्णन में आगत पद समूह की तरह से जानना चाहिये ॥ सू०७४ ॥ सूत्रार्थ-(सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं मणीगुलीया साहस्सीओ पण्णत्ताओ) सुधर्मा सभा में ४८ हजार मनोगुलिका-मनोगुलिका नामक पीठिका (आसन) विशेष कहे गये हैं। (तं जहा पुरथिमेणं सोलससाहस्सीओ, पञ्चस्थिमेणं सोलससाहस्सीओ, दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीओ, उत्तरेणं अट्ठમા સૂત્ર સુધી કરવામાં આવ્યું છે. ત્રિપાન પ્રતિરૂપકેનું વર્ણન ૧૨ મા સૂત્રમાં કથિત યાનવિમાનના વર્ણનમાં કહેલા પદસમૂહોની જેમ જ સમજવું જોઈએ. સૂ. ૭૪ 'सभाए सुहम्माए अडयालीसं मणो गुलियासाहस्सीओ पण्णत्ताओ' इत्यादि । सूत्रार्थः-(सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं मणोगुलियासाहस्सीओ पण्णत्ताओ) સુધર્મા સભામાં ૪૮ હજાર મને ગુલિકાઓ–મને ગુલિકા નામક પીઠિકાઓ-આસન विशेष-हेवाय छे. (तं जहा पुरथिमेणं सोलससाहस्सीओ' पच्चत्थिमेणं सोलस શ્રી રાજપ્રક્ષીય સૂત્રઃ ૦૧

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