Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुबोधिनी टीका. सू. ८७ सूर्याभविमानस्य देवकृतसज्जीकरणादिवर्णनम् देवावीण्यपि, अप्येकके देवा गर्जन्ति, अप्येकके देवा विद्यद्यन्ति अप्येक के देवा वर्षे वर्षन्ति, अप्येकके देवा स्त्रीण्यपि कुर्वन्ति, अप्येकके देवा ज्वलन्ति, अप्येकके देवाः तपन्ति अप्येकके देवाः प्रतपन्ति अप्येकके देवा स्त्रीण्यपि, अप्येक के देवाः हकुर्वन्ति, अप्येकके देवाः थुत्कुर्वन्ति, अप्येकके
करें ति) तथा कितनेक देवोंने सिंहनाद किया (अप्पेगइया देवा दद्दरयं करें ति) कितनेक देवोंने दर्दरक किया अर्थात् चन्दन के लेप से लिप्त करके चपेटा की आकृति की (अप्पेगइया देवा भूमिचवेडं दलयंति) तथा कितनेक, देवोंने भूमि के ऊपर चपेटा दिया अर्थात् भूमि के ऊपर हाथों से आघात किया (अप्पेगइया देवातिनि वि) तथा कितनेक देवोंने सिंहासन भी किया. दर्दरक भी किया और भूमि के ऊपर चपेटा भी दिया (अप्पेगइया देवा गति) तथा कितनेक देवोंने गर्जन किया (अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति) कितनेक देवोंने बिजली के जैसे चमकने का काम किया ( अप्पेगइया देवा वासं वासंति) कितनेक देवोंने वृष्टि की (अप्पेगइया देवा तिन्नि वि करेंति) तथा कितनेक देव गरजे भी चमके भी और बरसे भी इस तरह तीनों कार्य उन्होंने किये ( अप्पेगइया देवा जलंति अप्पेगइया देवा तवंति अप्पेगइया देवा पतवें ति) तथा कितनेक देव ज्वलित हुए, कितनेक देव तप्त हुए और कितनेक देव और भी अधिक तप्त हुए (अप्पेगइया देवा तिन्नि वि) तथा कितनेक देव ज्वलित भी हुए, तप्त भी हुए और प्रतप्त मी हुए-इस प्रकार उन्होंने इन तीनों कार्यों को मी किया (अप्पेगइया देवा हक्कारेंति,
हेवा सिंहनाह
ये. ( अप्पेगइया देवा
કેટલાક દવેએ દર્દરક એટલે કે ચ-દનના લેપથી લિસ કરીને થાપાની આકૃતિ ड. (अप्पेगइया देवा भूमिचवेडं दलयंति ) तेमन डेंटला हेवाखे लूभि पर तस प्रहार ये. ( अप्पेगइया देवा तिन्नि वि ) तथा डेंटला भए अर्यो भने ६६ २४ तेभन लूमियर तल प्रहार गज्जति) ते टला हेवेोये गर्भन यु. ( अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति ) डेंटला हेवेागो विभजीनी प्रेम प्राशित थवानु अभ यु'. ( अप्पेगइया हेवा वासंवासंति) डेटा हेवाये वृष्टि एरी. ( अप्पेगइया देवा तिन्नि वि करेंति ) तेभ કેટલાક દેવાએ ગર્જના પણ કરી. પ્રકાશિત પણ થયા અને વૃષ્ટિ પણ કરી. આ
अर्यो तेभागे अर्था. ( अप्पेगइया देवा जलंति, अप्पेगइया देवा तवंति अप्पेगइया देवा तवेति ) तेन डेंटला हेवा न्वसित थया, डेंटला हेवे। तस थया मने डेटवा हेवेो वधारे तप्त थया ( अप्पेगइया देवा तिन्नि वि) तेमन साङ દૈવે જવલિત પણ થયા, તપ્ત પણ થયા અને પ્રતમ પણ થયા. આ પ્રમાણે તેમણે
શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર : ૦૧