Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुबोधिनी टीका. सू. ९२ सूर्याभदेवस्य कार्यक्रमवर्णनम्
६२५ विमाणवासिणो देवा य देवीओ य अप्पेगइया देवा उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया सूरियाभं देवं पिटुओ पिटुओ समणुगच्छंति । तए णं तं सूरियाभं देवं बहवे आभि
ओगिया देवा य देवीओ य अप्पेगइया कलसहत्थगया जाव अप्पेगइया धूवकडुच्छयहत्थगया हतुट्ट जाव सूरियाभं देवं पिटुओ२ समणुगच्छंति तए णं से सूरियाभे देवे चरहिं सामा. णियसाहस्सीहिं जाव अन्नेहिं य बहहिं य सूरियाभविमाणवासीहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे सविड्ढोए जाव णाइयरवेणं जेणेव सिद्धाययणे जेणेव देवच्छंदए जेणेव जिणपडिमाओ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जिणपडिमाणं आलोए पणामं करेइ, करित्ता लोमहत्थगं गिण्हइ, गिण्हित्ता जिणपडिमाणं लोमहत्थएणं पमज्जइ, पमज्जित्ता जिणपडिमाओ सुरभिणा गधोदएणं पहाणेइ, हाणित्ता सुरभिकासाइएणं वत्थेणं गायाइं लूहेइ, लूहित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिंपइ, अणुलिंपित्ता जिणपडिमाणं अहयाई देवदृसजुयलाई नियंसेइ, नियंसित्ता पुप्फारुहणंमल्लारुहणं गंधारुहणं चुण्णारुहणं वन्नारुहणं वत्थारुहणं आभरणारुहणं करेइ, करित्ता आसत्तोसत्तविउलववग्धारियमल्लदामकलावं करेइ, करित्ता कयग्गहगहियकरयलपब्भट्टविष्पमुक्केणं दसद्धवण्णेणं कुसुमेणं मुक्कपुप्फपजोवयारकलियं करेइ. करिता जिणपडिमाणं पुरओ अच्छेहि सण्हेहि रययामयेहिं अच्छरसातंदुलेहिं अहमगले आलिहइ, तंजहा-सोस्थिय जाव दप्पणं । तयाणंतरं च णं चंदप्पभवइरवेरुलियविमलदंड कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदरुकतुरुकधूवमघमघंतगंधुत्तमाणुविद्धं च धूववहिं विणिम्मुयंत वेरुलियमयं
શ્રી રાજપ્રક્ષીય સૂત્રઃ ૦૧
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